Amar Ujala had this news on passing away of noted Urdu poet and lyricist Anwar Farrukhabadi.His song "Hamen To Luut Liyaa Milake Husn Vaalon Ne" became great hit and is still hummed.Its from Mahipal starer Al Hilal (1958).Quoting someone on YouTube "This is very special Kawwali,i recall that this is oldest captured in a Movie.. ( Can anybody tell name of movie and Singers ) It has long lasting impact on music lovers".Here are the lyrics in Hindi.At some places Lyrics credit is given to Shevan Rizvi.
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
नज़र मे शोकिया और बचपना शरारत मे
अदाए देखके हम फंस गए मोहब्बत मे
हम अपनी जान से जायेगे जिनकी उल्फत मे
यकी है की ना आयेगे वो ही मैय्यत मे
तो हम भी कह देगे, हम लुट गए, शराफत मे
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
वहीं-वहीं पे क़यामत हो वो जिधर जाए
झुकी-झुकी हुई नज़रो से काम कर जाए
तड़पता छोड़ दे रस्ते मे और गुज़र जाए
सितम तो ये है की दिल ले ले और मुकर जाए
समझ मे कुछ नही आता की हम दिखर जाए
यही इरादा है ये कहके हम तो मर जाए
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
वफ़ा के नाम पे मारा है बेवफाओ ने
की दम भी हम को ना लेने दिया जफ़ाओ ने
कूड़ा भुला दिया इन हुस्न के कुदाओ ने
मिटा के छोड़ दिया इश्क की कताओ ने
उडाये होश कभी ज़ुल्फ़ की हवान ने
हया-इ-नाज़ ने लूटा कभी अदावो ने
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
हज़ार लुट गए नज़रो के इक इशारे पर
हज़ारो बह गए तूफ़ान बनके धारे पर
न इनके वादो का कुछ ठीक है न बातो का
फ़साना होता है इनका हज़ार रातो का
बहुत हसी है वैसे तो भोलापन इनका
भरा हुआ है मगर ज़हर से बदन इनका
ये जिसको काट ले पानी वो पि नही सकता
दावा तो क्या है दुआ से भी जी नही सकता
इन्ही के मारे हुए हम भी है ज़माने मे
है चार लफ्ज़ मोहब्बत के इस फ़साने मे
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
ज़माना इनको समझता है नेख्य्वार मासूम
मगर ये कहते है क्या है किसीको क्या मालुम
इन्हे न तीर न तलवार की ज़रूरत है
शिकार करने को काफी निगाहे उल्फत है
हसी चाल से दिल पायमाल करते है
नज़र से करते है बाते कमाल करते है
हर एक बात मे मतलब हज़ार होते है
ये सीधे-सादे बड़े होशियार होते है
कूड़ा बचाए हसीनो की तेज़ चालो से
पड़े किसी का भी पल्ला ना हुस्न वालो से
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
हुस्न वालो मे मोहब्बत की कमी होती है
चाहने वालो की तक़दीर बुरी होती है
इनकी बातो मे बनावट ही बनावट देखि
शर्म आंखो मे निगाहो मे लगावत देखि
आग पहले तो मोहब्बत की लगा देते है
अपनी रुकसार का दीवाना बना देते है
दोस्ती कर के फिर अनजान नज़र आते है
सच तो ये है की बेईमान नज़र आते है
मौते कम नही दुनिया मे मुहब्बत इनकी
ज़िन्दगी होती बरबाद बदौलत इनकी
दिन बहारो के गुज़रते है मगर मर-मर के
लुट गए हम तो हसीनो पे भरोसा कर के
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
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हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
नज़र मे शोकिया और बचपना शरारत मे
अदाए देखके हम फंस गए मोहब्बत मे
हम अपनी जान से जायेगे जिनकी उल्फत मे
यकी है की ना आयेगे वो ही मैय्यत मे
तो हम भी कह देगे, हम लुट गए, शराफत मे
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
वहीं-वहीं पे क़यामत हो वो जिधर जाए
झुकी-झुकी हुई नज़रो से काम कर जाए
तड़पता छोड़ दे रस्ते मे और गुज़र जाए
सितम तो ये है की दिल ले ले और मुकर जाए
समझ मे कुछ नही आता की हम दिखर जाए
यही इरादा है ये कहके हम तो मर जाए
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
वफ़ा के नाम पे मारा है बेवफाओ ने
की दम भी हम को ना लेने दिया जफ़ाओ ने
कूड़ा भुला दिया इन हुस्न के कुदाओ ने
मिटा के छोड़ दिया इश्क की कताओ ने
उडाये होश कभी ज़ुल्फ़ की हवान ने
हया-इ-नाज़ ने लूटा कभी अदावो ने
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
हज़ार लुट गए नज़रो के इक इशारे पर
हज़ारो बह गए तूफ़ान बनके धारे पर
न इनके वादो का कुछ ठीक है न बातो का
फ़साना होता है इनका हज़ार रातो का
बहुत हसी है वैसे तो भोलापन इनका
भरा हुआ है मगर ज़हर से बदन इनका
ये जिसको काट ले पानी वो पि नही सकता
दावा तो क्या है दुआ से भी जी नही सकता
इन्ही के मारे हुए हम भी है ज़माने मे
है चार लफ्ज़ मोहब्बत के इस फ़साने मे
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
ज़माना इनको समझता है नेख्य्वार मासूम
मगर ये कहते है क्या है किसीको क्या मालुम
इन्हे न तीर न तलवार की ज़रूरत है
शिकार करने को काफी निगाहे उल्फत है
हसी चाल से दिल पायमाल करते है
नज़र से करते है बाते कमाल करते है
हर एक बात मे मतलब हज़ार होते है
ये सीधे-सादे बड़े होशियार होते है
कूड़ा बचाए हसीनो की तेज़ चालो से
पड़े किसी का भी पल्ला ना हुस्न वालो से
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
हुस्न वालो मे मोहब्बत की कमी होती है
चाहने वालो की तक़दीर बुरी होती है
इनकी बातो मे बनावट ही बनावट देखि
शर्म आंखो मे निगाहो मे लगावत देखि
आग पहले तो मोहब्बत की लगा देते है
अपनी रुकसार का दीवाना बना देते है
दोस्ती कर के फिर अनजान नज़र आते है
सच तो ये है की बेईमान नज़र आते है
मौते कम नही दुनिया मे मुहब्बत इनकी
ज़िन्दगी होती बरबाद बदौलत इनकी
दिन बहारो के गुज़रते है मगर मर-मर के
लुट गए हम तो हसीनो पे भरोसा कर के
हमे तो लूट लिया मिल के हुस्न वालो ने,
काले-काले बालो ने, गोरे-गोरे गालो ने..
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Urdu poet Anwar Farrukhabadi dies
Farrukhabad, Jun 30 (PTI) Noted poet Anwar Farrukhabadi, who penned popular Hindi film song ''Humein to loot liya milke husn walon ne'', has died. He was 83.
The poet breathed his last at his native place in Nakkhas here yesterday.
Anwar wrote around two thousand songs in Bollywood and for private albums. His songs have been imortalised in the voices of Mohammad Rafi, Manna Dey, Pankaj Uddhas, Shankar Shambhu and Sabir brothers among others.
Born here in 1928, the poet left for Mumbai in 1945 in search of better future and spent about 40 years there.
Some of the films for which he wrote lyrics are ''Al Hilal'', ''Mere Piya'' and ''Pardsi Sajan''.
The poet breathed his last at his native place in Nakkhas here yesterday.
Anwar wrote around two thousand songs in Bollywood and for private albums. His songs have been imortalised in the voices of Mohammad Rafi, Manna Dey, Pankaj Uddhas, Shankar Shambhu and Sabir brothers among others.
Born here in 1928, the poet left for Mumbai in 1945 in search of better future and spent about 40 years there.
Some of the films for which he wrote lyrics are ''Al Hilal'', ''Mere Piya'' and ''Pardsi Sajan''.
जनाब अनवर साहब को विनम्र श्रद्धान्जली....
ReplyDeleteउनकी शायरी, उनके कलाम, उनका चित्र इंटरनेट में उपलब्ध नहीं हैं.... गुजारिश है कि उनके साहित्य को इंटरनेट में अपलोड किया जाय, ताकि दुनिया उनकी अज़ीम अदब और शख्सियत से मुकम्मल तौर पर परिचित हो सके...
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